---Advertisement---

केरल में Nipah Virus अलर्ट: लक्षण, इतिहास और बचाव के उपाय

Nipah virus outbreak in Kerala
---Advertisement---

आखिर चर्चा में क्यों है Nipah Virus?

हाल ही में केरल ने 3 जिलों में हाई अलर्ट जारी किया है। जिलों में कोझिकोड, पलक्कड़ और मल्लपुरम शामिल हैं। इन जिलों में Nipah Virus के बढ़ते मामले सामने आ रहे हैं। विगत दिवस केरल में निपाह वायरस के दो संदिग्ध मामले सामने आए हैं, जिसमें एक 38 वर्षीय महिला और एक 18 वर्षीय युवती शामिल हैं।

इन मामलों की जाँच कराने के लिए रिपोर्ट नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी पुणे भेजी गई थी, जिसमें 38 वर्षीय महिला की रिपोर्ट में निपाह वायरस होने की पुष्टि की गई है, जबकि 18 वर्षीय युवती की निपाह वायरस से मौत हो गई है।

स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने मामलों की पुष्टि होने से पहले ही केरल के 3 जिलों में हाई अलर्ट जारी कर दिया है जिससे इस संक्रमण के प्रसार को रोका जा सके। इस वायरस के चलते उन्होंने इन जिलों के प्रत्येक क्षेत्र में 26 समितियां बनाई हैं। प्रशासन को बेहतर प्रबंधन करने के निर्देश दिए हैं, साथ ही जो भी सार्वजनिक घोषणाएं करनी हैं, उनकी व्यवस्थाएं करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने बताया कि यह समितियां निपाह वायरस की मॉनिटरिंग करेंगी, जनता को जागरूक करेंगी, और स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया करने के लिए प्रतिबद्ध रहेंगी। उन्होंने वहां के लोगों और स्वास्थ्य कर्मियों से सचेत, सजग, और सतर्क रहने के निर्देश दिए हैं।

 

क्या है Nipah Virus?

निपाह एक प्रकार का जुनोटिक वायरस है जो जानवरों से मनुष्यों में फैलता है, जिसमें मुख्यतः चमगादड़, सुअर, बकरियां, घोड़े इत्यादि शामिल हैं। यह वायरस दूषित खाद्य पदार्थों से भी फैल सकता है, साथ ही मनुष्य से मनुष्य में भी फैल सकता है।

टेरोपोडीडे परिवार के फल चमगादड़ निपाह वायरस के प्राकृतिक मेजबान हैं।

 

क्या है इसका इतिहास?

निपाह वायरस की सबसे पहले पहचान 1999 में मलेशिया में सुअर पालन करने वाले किसानों में हुई थी।

1999 दौरान इसकी वजह से मलेशिया और सिंगापुर में तकरीबन 100 लोगों की मौत हुई थी।

इस वायरस की वजह से तकरीबन दस लाख सुअरों को मारा गया था जिससे वहां की अर्थव्यवस्था को बहुत बड़ा नुकसान हुआ था।

एशिया में यदि बात की जाए तो यह वायरस मुख्यतः बांग्लादेश और भारत में प्रभावित है।

बांग्लादेश में इस बीमारी की पहचान साल 2001 में की गई थी।

भारत की बात की जाए तो साल 2001 में सिलिगुड़ी में इसकी सूचना मिली थी, जहां लगभग 75 प्रतिशत मामले अस्पताल के कर्मचारियों और वहां के आगंतुकों के बीच मिले थे।

बांग्लादेश, मलेशिया, और भारत जैसे देशों की यात्रा करने से पहले आपको बहुत सावधानियां बरतनी चाहिए क्योंकि यहां निपाह वायरस के संक्रमण की संभावना अधिक रहती है। कंबोडिया, मलेशिया, थाइलैंड, और फिलीपींस की यदि आप यात्रा कर रहे हैं तो अधिक सतर्कता बरतें क्योंकि इस क्षेत्र में निपाह वायरस फैलाने वाले चमगादड़ों की संख्या बहुतायत में है।

 

लक्षण

निपाह वायरस के सामान्यतः लक्षणों में बुखार, सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द, उल्टी, गले में खराश, चक्कर आना, निमोनिया इत्यादि शामिल हैं। हैं।यदि गंभीर मामलों की बात की जाए तो व्यक्ति में एंसेफेलाइटिस होने का खतरा भी होता है।

इसकी अनुमानित मृत्यु दर लगभग 40% से 75% तक है।

यदि इसके संक्रमण की अवधि की बात की जाए तो यह 4 से 14 दिन की होती है, पर कुछ मामलों में सामने आया है कि 45 दिन की भी मिली है।

निपाह वायरस का संक्रमण जानवरों के लार, पेशाब, और रक्त के माध्यम से फैल सकता है। जब मनुष्य ऐसे जानवरों के संपर्क में आता है तो निपाह वायरस का खतरा अधिक बढ़ जाता है।

निपाह वायरस हवा के माध्यम से भी फैलता है; मसलन, यदि किसी व्यक्ति को निपाह वायरस है और यदि वह छींकता या खांसता है, तो उसके जीवाणु आपके शरीर में भी प्रवेश कर जाते हैं और आप भी वायरस के चपेट में आ सकते हैं।

कच्चे खजूर का रस या फलों का सेवन करना भी आपके लिए घातक हो सकता है क्योंकि यहां चमगादड़ अपना मल-मूत्र छोड़ जाते हैं, या उनके द्वारा खाए हुए फल का तरल उस फल में छूट जाता है जिससे आप संक्रमित हो सकते हैं।

बचाव

इस वायरस के इलाज के लिए फिलहाल कोई दवा या टीका नहीं बना है। किंतु यदि प्राथमिक उपचार सही तरीके से हो जाए तो इस वायरस के खतरे से

से बचा जा सकता है।

इस वायरस के लक्षणों का सही प्रबंधन ही निपाह वायरस से बचाव का एकमात्र तरीका है।

परीक्षण में शामिल

RT-PCR

ELISA टेस्ट

रक्त, मूत्र, और लार की जांच शामिल है।

 

रोकथाम के लिये क्या किया जा सकता है?

Nipah Virus की रोकथाम के लिए आप कुछ ऐसे उपाय अपना सकते हैं जिनसे आप इस संक्रमण के फैलने से बच सकते हैं। यदि आप किसी ऐसे देश की यात्रा कर रहे हैं जहां निपाह वायरस का खतरा अधिक रहता है, तो आपको कुछ सावधानियां बरतनी होंगी। यात्रा के दौरान आप अपने हाथ को बार-बार सैनिटाइज करें और धोएं। ऐसी जगह न जाएं जहां आपकी चमगादड़ जैसे जानवरों के संपर्क में आने की संभावना रहे। पेड़ों और झाड़ियों से दूर रहें जहां चमगादड़ बैठते हों या उनका वह क्षेत्र हो। वायरस से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से बचें क्योंकि उनकी लार और छींक में उसके जीवाणु मौजूद रहते हैं।

 

Join WhatsApp

Join Now
---Advertisement---

Leave a Comment