यह आप में एक ऐसा सवाल करती है जिसकी जिज्ञासा विश्व के बहुत से देश — चाहे वो अमेरिका से लेकर यूरोप और एशिया के देश हों , सोचने पर मजबूर करती है कि इतना उन्नत शैली का विमान कैसे आग के गोले में तब्दील हो गया।
12 जून 2025 के दिन दोपहर के 1 बजकर 39 मिनट IST के अनुसार विमान टेकऑफ करता है। विमान था बोइंग का मॉडल 787-8, रजिस्ट्रेशन नंबर VT-ANB। इस विमान में 10 केबिन क्रू के साथ 2 पायलट थे और 230 पैसेंजर्स। सभी लोग महज़ चंद सेकंड के अंदर एक भीषण हादसे में अपनी जान गवा बैठे। सिर्फ 1 पैसेंजर ज़िंदा बच पाया। इस हादसे की जानकारी Airport Authority of India और Airline Operator के द्वारा तुरंत Aircraft Accident Investigation Bureau (AAIB) को दी गई, जिसने अपने 5 अधिकारियों को उसी दिन अहमदाबाद में घटना स्थल को समझने के लिए भेजा।
12 जुलाई को AAIB की तरफ से एक प्रारंभिक रिपोर्ट पेश की गई है। यह Ministry of Civil Aviation के अंतर्गत आता है। 15 पेज की इस रिपोर्ट में उस दिन क्या-क्या हुआ, हर एक पहलू को बताया गया है। जैसे सभी डाटा का केंद्रीकरण सिर्फ एक ओर इशारा करता है कि आखिर फ्यूल स्विच कटऑफ कैसे हुआ? क्या यह कोई मानवीय चूक है या फिर डिज़ाइन फेलियर, जिसको पहले हुए बोइंग के बहुत से हादसों की तरह सिर्फ पायलट की ओर इशारा करके मामला साफ़ किया जा रहा है? क्योंकि बोइंग से संबंधित बहुत से संकेत पहले भी आ चुके हैं कि मैन्युफैक्चरिंग के दौरान सेफ्टी नज़रअंदाज़ की जाती है। इस आर्टिकल में आपको अहमदाबाद प्लेन क्रैश को विस्तार से बताने का प्रयास किया गया है।
शुरुआत होती है जब बोइंग 787-8 एयरक्राफ्ट दिल्ली से अहमदाबाद पहुंचकर ठीक 11:17 AM पर अहमदाबाद एयरपोर्ट में उतरता है। इस विमान को Gatwick के लिए अहमदाबाद से प्रस्थान का समय 13:10 PM IST निर्धारित था। इस विमान का Take-off Weight 2,13,401 किलोग्राम था, जो कि Maximum allowed weight 2,18,183 किलोग्राम के अंदर था। इसलिए overweight जैसी कोई समस्या नहीं हो सकती। इस 15 पेज की रिपोर्ट में पेज नंबर 13 पर साफ़ तौर पर बताया गया है कि किसी प्रकार का ‘Dangerous Goods’ भी इसमें नहीं था।
दुर्घटना से पहले से लेकर बाद तक मौसम विभाग के डाटा के अनुसार किसी भी प्रकार की कोई मौसम से संबंधित समस्या नहीं थी। चाहे वो दृश्यता 6000 मीटर, तापमान 36°C-38°C के बीच और क्लाउड जैसे कोई भी समस्या नहीं मिली है। वायुदाब भी 1000 hPa के आसपास दर्ज किया गया था।
13:13:00 IST पर विमान को पुशबैक और इंजन स्टार्ट करने की अनुमति मांगी गई। ठीक 13:13:13 IST पर ATC के द्वारा पुशबैक करने की अनुमति और 13:16:59 पर इंजन शुरू करने की अनुमति दी गई। 13:32:03 पर विमान को टॉवर कंट्रोल पर ट्रांसफर किया गया, रनवे 23 पर विमान को लाइनअप करने का निर्देश दिया गया। ठीक 13:37:33 समय पर रनवे 23 से टेक-ऑफ की अनुमति दी गई। इस समय मौसम बिल्कुल उड़ान अनुकूल था और फिर 13:39:05 पर फ्लाइट AI171 ने MAYDAY कॉल दिया।
Flight Recorder (EAFR) के डाटा के हिसाब से विमान ने 13:38:42 IST पर अपनी 180 नॉट्स तक रफ्तार पकड़ ली थी। अब दिलचस्प बात ये है कि इसी समय 13:38:42 IST पर एक के बाद एक दोनों इंजन के फ्यूल कटऑफ स्विच RUN से CUTOFF कंडीशन में चले गए और नोट करने वाली बात ये है कि इनके बीच सिर्फ 1 सेकंड का अंतर था। अब दोनों इंजन की गति टेकऑफ के लिए निर्धारित सीमा से नीचे जाने लगी।
सबसे दिलचस्प बात जिसको वैश्विक स्तर पर कवर किया गया है कि एक पायलट ने दूसरे से पूछा, “तुमने फ्यूल स्विच कट ऑफ क्यों किया?” दूसरे पायलट ने जवाब दिया, “मैंने नहीं किया।” ज़्यादातर लोगों की शंका इस बात की ओर जा रही है कि कहीं गलती से पायलट ने ही फ्यूल सप्लाई कट कर दी हो। लेकिन इसकी संभावना बिल्कुल न के बराबर है।
Flight Recorder के अनुसार दोनों इंजन का फ्यूल कट 1 सेकंड के अंतर पर हुआ और इसको मैन्युअली करना असंभव है क्योंकि इसमें एक सेफ्टी लॉक होता है, उसको हटाकर ही इन स्विच की पोज़ीशन बदली जा सकती है और ऐसा करने में 1 सेकंड से ज़्यादा का समय लगेगा। क्योंकि ये कोई इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड के स्विच नहीं हैं कि इनको तुरंत चालू और बंद किया जा सके। इसलिए पायलट के द्वारा गलती हुई हो इसकी संभावना बहुत कम है।
दूसरा सबूत कि पायलट ने फ्यूल स्विच नहीं किया, यह है कि जब हादसे के लोकेशन के विमान के जले हुए हिस्से मिले, तब उनमें भी फ्यूल कंट्रोल स्विच RUN पोजीशन में मिले हैं, जिसका सबसे बड़ा सबूत ये फोटो है।
साथ में थ्रॉटल क्वाड्रंट और थ्रस्ट लीवर की पोजीशन भी “RUN” में पाई गई। इससे ये बात तो क्लियर हो जाती है कि पायलट की गलती नहीं हो सकती है। प्लेन टेकऑफ करके एयरपोर्ट की बाउंड्री को भी क्रॉस नहीं कर पाया कि Ram Air Turbine (RAT) डिप्लॉय हो गया क्योंकि दोनों इंजन टेकऑफ के लिए निर्धारित पावर से नीचे चले गए थे। किसी भी प्रकार का कोई बर्ड हिट नहीं दिखा। RAT का डिप्लॉय होना किसी बहुत बड़ी खराबी की ओर संकेत करता है। RAT तभी दिखता है जब सभी इंजन, जेनरेटर, और बैकअप सब कुछ असफल हो जाते हैं। तो सिर्फ कम्यूनिकेट के लिए कॉकपिट और बेसिक हाइड्रोलिक संचालन के लिए इसका उपयोग करते हैं। क्योंकि फ्यूल कट की वजह से इंजन अपना थ्रस्ट खोने लगे तो लैंडिंग गियर भी डाउन रह गए। लगभग 13:38:47 IST पर RAT ने हाइड्रोलिक पावर देना शुरू कर दी।
दो EAFR रिकॉर्डर विमान में लगे थे — एक आगे और एक पीछे। बिल्डिंग A की छत से STA 1847 EAFR मिला, पर बुरी तरह क्षतिग्रस्त था। आगे वाला रिकॉर्डर घटना के 4 दिन बाद बरामद हुआ और उसमें से डेटा सफलतापूर्वक डाउनलोड किया गया। लगभग 49 घंटे की उड़ान और 2 घंटे की कॉकपिट ऑडियो रिकॉर्डिंग मिली, जिसमें पूरी जानकारी थी।
शुरुआती निष्कर्ष बताते हैं कि 2018 की एक फेडरल एविएशन अथॉरिटी की चेतावनी का ज़िक्र वहाँ किया गया है, जिसमें ऑपरेटरों को फ्यूल स्विच लॉकिंग मैकेनिज्म के संभावित फेल होने को लेकर आगाह किया गया था। हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि अगर कोई तकनीकी खराबी थी तो वह कैसे दोनों स्विच को लगभग एक साथ बंद कर सकती थी। यह एक परिस्थिति है और इन सबके बीच यह चेतावनी जो है, सिर्फ सलाह के रूप में दी गई थी और एयर इंडिया ने इससे जुड़ी जांच नहीं कराई थी।
कंपनी ने 2019 और 2023 में थ्रॉटल मॉड्यूल बदलवाए थे। लेकिन इनका फ्यूल कंट्रोल स्विच से कोई संबंध नहीं पाया गया था। यानी अब तक यह साफ़ नहीं हो पाया है कि घटना मानवीय गलती थी या किसी दुर्लभ तकनीकी खराबी का नतीजा था। और यह प्रारंभिक रिपोर्ट है, इसीलिए असली वजह क्या हो सकती है, फाइनल रिपोर्ट आना बाकी है।