आखिरकार अमेरिका को आई अक्ल
अमेरिका ने टीआरएस को आतंकी संगठन किया घोषित
विदेश मंत्री एस जय शंकर ने इसे बताया एक महत्वपूर्ण कदम
देर आए दुरुस्त आए। शुक्रवार को आखिरकार अमेरिका ने पाकिस्तान पोषित आतंकी संगठन टीआरएफ (द रजिस्टेंस फ्रंट) को वैश्विक आतंकी संगठन घोषित कर दिया है। भारत ने इस निर्णय का स्वागत करते हुए इसे एक महत्वपूर्ण कदम बताया है। साथ ही अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो को इस निर्णय के लिए धन्यवाद भी दिया है। विगत कुछ महीनों पहले 22 अप्रैल को पहलगांम में कायराना आतंकी हमले से निर्दोष पर्यटकों की जानें गई थीं, जिसमें लगभग 20 से 25 हिंदू पर्यटकों की मौत हुई थी। एस आतंकी हमले को अंजाम देने की जिम्मेदारी टीआरएफ ने ली थी।
इस हमले के खिलाफ भारत ने पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए ऑपरेशन सिंदूर को 7 मई को शुरू किया था। भारत ने ऑपरेशन सिंदूर से एक बड़ी जीत हासिल की थी जिससे पाकिस्तान कंपकंपा गया था और आज भी डरा हुआ है।
क्योंकि इसमें भारत ने एक बार फिर अपनी सैन्य शक्ति का एक बेहतरीन प्रदर्शन किया जिसका बोलबाला पूरे देश भर में जमकर ख्याति प्राप्त कर रहा है और ये उन निर्दोष पर्यटकों जिनकी इस पहलगाम हमले में जाने गयी हैं के लिए एक श्रद्धांजलि से कम नहीं।
बीते शुक्रवार को अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने टीआरएफ को अमेरिका द्वारा आतंकी संगठन घोषित करने की घोषणा की।
अब भारत चाहेगा कि बाकी अन्य और भी देश आतंकवाद को ख़त्म करने आगे आयें और अपना सहयोग प्रदान करें। भारत चाहेगा कि अन्य देशों की तरफ से भी इसे आतंकी संगठन घोषित किया जाए जिससे यूएनएससी (UNSC) में इस पर प्रतिबंध लगाने की राह आसान हो जाएगी और भविष्य में इसे फंडिंग मिलने की राह भी खत्म हो जाएगी जिसकी बदौलत ये आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देता है।
लेकिन ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि केवल इसे वैश्विक आतंकवादी संगठन घोषित करने से बात नहीं बनेगी क्योंकि इससे पहले भी कई ऐसे आतंकवादी संगठन रहे हैं जिन्हें वैश्विक आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया गया है, साथ ही उन पर यूएनएससी द्वारा प्रतिबंध भी लगाया जा चुका है, फिर भी वे बार-बार नाम बदलकर या अपने छोटे समूह का नया संगठन तैयार कर आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त रहते हैं और ऐसे कायराना आतंकी हमलों को अंजाम देते हैं।
आतंकवादियों का मकसद ही किसी देश के लोगों में खौफ़ पैदा करना और अपने वर्चस्व को बढ़ाना होताहै, और ऐसी आतंकी गतिविधियां कर के वे अपने क्षेत्र का और विस्तार करते हैं। इनपर कड़ी निगरानी रखने की बहुत आवश्यकता है।मसलन,न केवल ऐसे संगठनों को आतंकवादी संगठन घोषित करने के बाद उनपर प्रतिबंध लगाने के सा-साथथ उनके नेटवर्क पर भी कड़ी निगरानी रखने की आवश्यकता है जिसके चलते वे नाम बदल कर उन्हीं आतंकी गतिविधियों को दोहरा रहे हैं।
अमेरिका के इस फैसले के बाद भारत ने इसका स्वागत किया है। साथ ही अमेरिका को धन्यवाद भी दिया है, जो कि भारत की आतंकवाद के खिलाफ़ शून्य सहिष्णुता नीति को बल प्रदान करेगा। दूसरी ओर यदि पाकिस्तान को देखा जाए तो अमेरिका के इस निर्णय की वजह से असमंजस की स्थिति में है कि एक और अमेरिका
उसे दावत के लिए न्योता भी दे रहा है और दूसरी ओर उसके सरगनाओं को खत्म भी करता नज़र आ रहा है।
टीआरएफ जैसे आतंकवादी संगठन की यदि बात की जाए तो अमेरिका ने इसे लश्कर ए तैयबा का
मुखौटा करार दिया है। भारत ने इसे पहले ही 2023 में आतंकी संगठन घोषित कर दिया था। पाकिस्तान जैसे देशों से फंडिंग प्राप्त कर अपने आतंकी गतिविधियों के लिए पाक सेना इसे ट्रेनिंग प्रदान करती है, जिसमें हाइब्रिड आतंकियों की भर्ती की जाती है जो सामान्य जन की तरह दिखते हैं और आतंकी हमलों को अंजाम देते हैं। मुख्यतः यह जम्मू कश्मीर में सुरक्षा बलों, गैर-कश्मीरियों, और पर्यटकों को अपना निशाना बनाते हैं।
FATF क्या है?
एफएटीएफ की स्थापना 1989 में हुई थी और इसका मुख्यालय पेरिस में है।
वित्तीय कार्रवाईकार्यबल बल (FATF) धन शोधन, आतंकवाद और प्रसार वित्तपोषण से निपटने के लिए वैश्विक कार्रवाई का नेतृत्व करता है। 40 सदस्यीय यह निकाय यह सुनिश्चित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय मानक निर्धारित करता है कि राष्ट्रीय प्राधिकरण मादक पदार्थों की तस्करी, अवैध हथियारों के व्यापार, साइबर धोखाधड़ी और अन्य गंभीर अपराधों से जुड़े अवैध धन पर प्रभावी ढंग से कार्रवाई कर सकें।
एफएटीएफ इस बात पर शोध करता है कि धन शोधन और आतंकवाद को कैसे वित्तपोषित किया जाता है, जोखिमों को कम करने के लिए वैश्विक मानकों को बढ़ावा देता है, और यह आकलन करता है कि क्या देश प्रभावी कार्रवाई कर रहे हैं। कुल मिलाकर, 200 से अधिक देशों और क्षेत्राधिकारों ने संगठित अपराध, भ्रष्टाचार और आतंकवाद को रोकने के लिए एक समन्वित वैश्विक प्रतिक्रिया के हिस्से के रूप में एफएटीएफ के मानकों को लागू करने की प्रतिबद्धता जताई है। देशों और क्षेत्राधिकारों का मूल्यांकन एफएटीएफ के नौ सहयोगी सदस्य संगठनों और अन्य वैश्विक भागीदारों, आईएमएफ और विश्व बैंक की मदद से किया जाता है।