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Labubu Doll सिर्फ खिलौना या फिर हथियार और क्या है ब्लाइंड बॉक्स ट्रेंड

Labubu Doll
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खिलौने, जी हां, खिलौने जो ना सिर्फ बच्चों का साथ देते हैं बल्कि उनके भविष्य की कल्पनाओं को भी एक ऊंची उड़ान देते हैं, चाहे वह टेडी बियर हो या फिर मिट्टी के खिलौने या फिर हाथ से बनाई गई पारंपरिक भारतीय संस्कृति की गुड़िया। ऐसे में चीन के Pop Mart से निकलकर एक नए खिलौने की एंट्री होती है जिसका नाम है Labubu। इस खिलौने को लेकर एक बड़ा विवाद तूल पकड़ता जा रहा है। इस Labubu Doll को कार्ल मार्क्स की ग्रेव पर रखा हुआ देखा गया है जिसको साम्यवाद के ऊपर पूंजीवाद की जीत के रूप में तुलना की जा रही है

खिलौने जो बच्चों के खेलने के लिए होते हैं, लेकिन इस Labubu doll का चलन बच्चों से ज्यादा बड़ों में देखा जा रहा है। खास तौर पर Gen Z, दिखने में यह खिलौना एक डरावना और भयानक सा लगता है। सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने इसकी तुलना एक राक्षस से कर डाली है जिसको बहुत ही अशुभ माना जा रहा है। कोई इसको बैग चेन में लगा कर रखे हुए हैं तो कोई इसे इयररिंग्स या खिलौने जैसे के रूप में इस्तेमाल कर रहा है। Labubu Doll से जुड़े केक, गुलदस्ते, टैडी आदि बनने लगे। बच्चों से लेकर एक से एक बड़े सेलिब्रिटी उर्वशी रौतेला, बॉलीवुड से लेकर हॉलीवुड तक, भारत से लेकर अमेरिका तक, इसी डॉल का प्रचलन बढ़ता चला जा रहा है।

ऐसा लगता है जैसे यह खिलौना बच्चों के लिए नहीं बल्कि खासतौर पर बड़े लोगों को टारगेट करने के लिए बनाया गया है, यह जानते हुए भी कि भारत के साथ चीन और पाकिस्तान के संबंध कैसे हैं। इसके बावजूद भी लोगों में चाइनीस फूड के प्रति एक अलग ही उत्सुकता देखने को मिलती है। चाइनीस फूड का इन्फ्लुएंस देश में लोगों के अंदर देखने को मिलता है। क्या यह चीन की कोई सोची-समझी साजिश है बिना शक्ति का प्रयोग किए लोगों के माइंडसेट और स्वभाव को अपने प्रति नरम करना है? साथ में विश्व में सॉफ्ट पावर के रूप में चीन के प्रति लोगों के रवैये को बदलने की कोई नई साजिश है? इस आर्टिकल में Labubu Doll को विस्तार से बताया गया है। 

 

Labubu Doll क्या है और इसकी लोकप्रियता

इस डॉल को हांगकांग के Kasing Lung की सोच हैं, लेकिन इसको लोगों के घर के अंदर तक पहुंचाने का सफर चाइना के पॉप मार्ट ने किया है। यह खिलौना दिखने में खौफनाक है कि नहीं, यह लोगों की सोच है। Labubu Doll का सबसे बड़ा आकर्षण का केंद्र है इसकी आंखें और चेहरा। इसकी आंखें शरीर से ज्यादा मोटी और बड़ी हैं जो किसी को मनमोहक और किसी को डरावनी लगती हैं। चेहरे के चारों तरफ बाल हैं और किसी डरावने जानवर या राक्षस जैसे इसके दांत हैं। 

सोचने वाली बात यह है आज से 30 से 40 साल पहले एक ऐसा दौर था कि बच्चे जिन खिलौनों का इस्तेमाल खेलने के लिए करते थे, चाहे वह गुड्डा हो या गुड़िया, वह देखने में काफी मासूम प्यारे लगते थे, लेकिन आज राक्षस जैसा दिखने वाला खिलौना बच्चों से लेकर बड़ों तक सबको बहुत पसंद आ रहा है। क्या इस प्रकार के खिलौने परिजनों को अपने बच्चों को देने चाहिए कि नहीं? यह भी सोचने वाली बात है क्योंकि इस प्रकार के डरावने खिलौने से खेलने पर बच्चों के ऊपर किस प्रकार का प्रभाव पड़ सकता है। क्या चीनी मोबाइल ब्रांड की तरह अब Pop Mart भी भारतीय बाजार में पकड़ बना रहा है? Pop Mart ने ऐसी कौन सी तकनीक लगाई जिससे Labubu doll की वजह स्टोर के स्टोर खाली हो गए? क्या इंडियन ब्रांड भी इस तकनीक का इस्तेमाल कर सकते हैं?

Blind Box Concept क्या है जिससे ग्लोबल क्रेज इतना बढ़ गया?

दरअसल, अलग-अलग रंगों की Labubu Doll को एक हाई-क्वालिटी बॉक्स के अंदर रखकर बेचा जाता है, और खरीदने वाले को यह पता नहीं रहता कि बॉक्स के अंदर किस कलर की Labubu है। खरीदने से पहले लोग अपनी पसंद के कलर को सोचते हैं, लेकिन जब वह बॉक्स को खरीदते हैं और उसके अंदर उनकी पसंद की डॉल नहीं निकलती उसे कलर की डॉल को हासिल करने के लिए दूसरा बॉक्स खरीदते हैं। यह कुछ ऐसा है जैसे बचपन में इनाम खींचने पर कभी पेन तो कभी कोई छोटा खिलौना निकलता था। इस रणनीति की वजह से लोगों के अंदर इस खिलौने का जुनून इस हद तक पहुंच गया कि लोगों ने दुकान के स्टॉक के स्टॉक खाली कर दिए। इस प्रकार यह कंपनी मार्केटिंग करती है। कंपनी का मुनाफा दुगने से भी ज्यादा हो गया। लोग सोशल मीडिया पर इसके ट्रेंड बनाकर अपलोड कर रहे हैं।

इस डॉल को भारत से लेकर अमेरिका और यूरोप में भी बड़ी से बड़ी सेलिब्रिटी खरीद रहे हैं उनके फॉलो करने की वजह से उनके व्यूअर भी और ज्यादा खरीद रहे हैं क्योंकि मार्केट में इसकी डिमांड की पूर्ति में स्टोर असमर्थ लग रहे है जिससे इसके कीमत आसमान छूने लगी है। हद तो तब हो गई जब इसकी कीमत एक ऑक्शन में 1 लाख डॉलर से भी ऊपर निकल गई। 

Karl Marx की ग्रेव और Labubu डॉल

इस पूरी बहस का मुख्य बिंदु कार्ल मार्क्स की ग्रेव पर इस लबुबू डॉल का पाया जाना लोग इसको साम्यवाद के ऊपर पूंजीवाद क्यों हावी होने के रूप में देख रहे हैं? बहुत से लोगों के द्वारा इसे असम्मानजनक और असहनीय बताया जा रहा है।

क्या ये वेस्ट बनाम ईस्ट सांस्कृतिक संघर्ष है?

बच्चों के बीच प्रसिद्ध कार्टून चाहे टॉम एंड जेरी,हथौड़ी, या फिर पिकाचू ही क्यों ना हो, इन कार्टूनों में अपने देश की झलक,क वहां का कलर, वहां की सोसाइटी, और रहन-सहन का तरीका अच्छे से समझ में आता है। ठीक इसी प्रकार अमेरिका की बार्बी डॉल एक समय बच्चों के बीच बहुत ज्यादा प्रसिद्ध हुई, लेकिन अब बार्बी, जो अमेरिकी डॉल की पहचान है, अब उसको चीनी डॉल लाबूबू की तरफ से कड़ी टक्कर देखने को मिल सकती है। ठीक वैसे ही जैसे ChatGPT के सामने DeepSeek

क्या ये वेस्ट बनाम ईस्ट कल्चरल बैटल है? बहुत से लोगों के द्वारा इस लाबुबू डॉल की तुलना एक राक्षस पजूजू से की गई है, जो की एक प्राचीन राक्षस है। इस डॉल को डरावने और भूतिया किरदार के रूप में भी देखा जा रहा है। कुछ जगह तो लोगों के द्वारा इसको जलाने तक की घटनाएं सामने आई हैं। 

क्या धीमे-धीमे किसी भी देश के अंदर सॉफ्ट पावर का इस्तेमाल करके घर करना क्या यह एक नए प्रकार कीे सांस्कृतिक युद्ध का चेहरा है क्योंकि अपनी सॉफ्ट पावर का इस्तेमाल करके लोगों को अपनी संस्कृति में कुछ इस प्रकार मिला देना कि उनको पता भी ना चले कि कब वो दूसरी संस्कृति का हिस्सा बन गए हैं? देश में चाइनीस फूड से लेकर, कोरियन ड्रेस, वेस्टर्न ड्रेस, वेस्टर्न एजुकेशन, और इंपोर्टेड ब्रांड का प्रचलन इसका सबसे बड़ा उदाहरण है।

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